भारत में गरीबी

भारत में गरीबी (Poverty in India) Classroom Notes for Competitive Exams

Definition:- गरीबी से आशय जीवन में कुछ निर्दिष्ट (दैनिक खर्च) आवश्यकताओं की पूर्ति से वंचित रहने से है! गरीबी को दो रूपों में देखा जा सकता है-

  1. सापेक्ष गरीबी 
  2. निरपेक्ष गरीबी

  • सापेक्ष गरीबी:- सापेक्ष गरीबी समाज का एक ऐसा वर्ग है जो आय या उपभोग के स्तर की दृष्टि से संपूर्ण समाज या अर्थव्यवस्था के औसत आय या उपभोग से नीचे है! सापेक्ष गरीबी यह स्पष्ट करती है कि विभिन्न आयु वर्गो के बीच कितनी विषमता है!
  • निरपेक्ष गरीबी:- गरीबी मापन का निरपेक्ष प्रतिमान एक न्यूनतम आय अथवा उपभोग स्तर पर आधारित है! इस प्रतिमान का निर्धारण करते समय मनुष्य की पोषण आवश्यकताओं तथा अनिवार्यताओं के आधार पर आय अथवा उपभोग व्यय के न्यूनतम स्तर को ज्ञात किया जाता है!


विश्व बैंक के अनुसार भारत में गरीबी

विश्व बैंक के अनुसार निर्धनता रेखा को निर्धारित किया गया था, जिसके अनुसार विकसित देशों के लिए निर्धनता रेखा 2 डॉलर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन तथा विकासशील देशों में 1.25 डॉलर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन उपभोग कर रहा है, तो वह निर्धनता रेखा के ऊपर है!


योजना आयोग के अनुसार निर्धनता रेखा

पोषण के लिए प्रतिदिन के ऊर्जा की आवश्यकता के आधार पर निर्धनता को परिभाषित किया गया था! शहरी क्षेत्र में 2100 किलो-कैलोरी तथा ग्रामीण क्षेत्र में 2400 किलो-कैलोरी ऊर्जा का उपभोग करने वाला व्यक्ति गरीबी रेखा के ऊपर है!


सुरेश तेंदुलकर समिति (2011)

इस समिति ने कैलोरी के स्थान पर प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग-व्यय को आधार बनाया! शहरी क्षेत्र में ₹1000 प्रति व्यक्ति प्रति माह (लगभग ₹35 प्रतिदिन) और ग्रामीण क्षेत्र में ₹816 प्रति माह प्रति व्यक्ति (लगभग ₹27 प्रतिदिन) से कम खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब होगा!

डॉ सी रंगराजन समिति (2012)

योजना आयोग द्वारा गठित समिति के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र के लिए ₹972 प्रति व्यक्ति प्रति माह (लगभग ₹32 प्रतिदिन) तथा शहरी क्षेत्र में ₹1407 प्रति व्यक्ति प्रति माह (लगभग ₹47 प्रतिदिन) से कम खर्च करता है तो वह व्यक्ति करीब होगा!

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